LAC पर समझौते के लिए कैसे तैयार हुआ चीन? विदेश मंत्री जयशंकर ने बताई डील की इनसाइड स्टोरी

नई दिल्ली : भारत और अमेरिका के बीच एलएसी पर सीमा विवाद से जुड़ा एक समझौता हुआ है। समझौते के बाद दोनों देशों के सैनिक चिह्नित इलाकों से पीछे हटना शुरू हो चुके हैं। भारत और चीन के बीच चार साल से जारी तनाव खत्म करने को लेकर यह समझौता आखिर कैसे हुआ।

4 1 5
Read Time5 Minute, 17 Second

नई दिल्ली : भारत और अमेरिका के बीच एलएसी पर सीमा विवाद से जुड़ा एक समझौता हुआ है। समझौते के बाद दोनों देशों के सैनिक चिह्नित इलाकों से पीछे हटना शुरू हो चुके हैं। भारत और चीन के बीच चार साल से जारी तनाव खत्म करने को लेकर यह समझौता आखिर कैसे हुआ। आखिर पर्दे के पीछे ऐसे कौन से कदम और प्रक्रिया रही जिससे चीन भारत के साथ समझौता करने को आखिरकार तैयार होगया। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शनिवार को पुणे में एक कार्यक्रम के दौरान इस पूरे समझौते की कहानी को विस्तार से बताया।
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि चीन के साथ सीमा तनाव को कम करने के लिए हाल ही में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर हुआ समझौता सरकार के 'बहुत दृढ़ प्रयास' का हिस्सा था। इसकी वजह थी कि भारत, चीन के साथ गतिरोध के दौरान भी अपने रुख पर अड़ा रहा। जयशंकर ने इस पूरे मामले में देश की रक्षा में सेना की भूमिका की भी प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि बीजिंग के साथ तनाव को कम करने में सेना और कूटनीति ने अपनी भूमिका निभाई।

यदि आज हम यहां तक पहुंचे हैं, तो इसका एक कारण यह है कि हमने अपनी बात पर अड़े रहने और अपनी बात रखने के लिए बहुत दृढ़ प्रयास किया है। सेना देश की रक्षा के लिए बहुत ही अकल्पनीय परिस्थितियों में वहां (एलएसी पर) मौजूद थी और सेना ने अपना काम किया और कूटनीति ने भी अपना काम किया।
एस जयशंकर, विदेश मंत्री, पुणे मे एक कार्यक्रम के दौरान

समझौते के पीछे 2 वजह

जयशंकर ने कहा कि आज हम जहां पहुंचे हैं, उसके दो कारण हैं, एक- अपनी जमीन पर खड़े रहने और अपनी बात रखने के लिए हमारी ओर से बहुत दृढ़ प्रयास और यह केवल इसलिए संभव हो सका क्योंकि सेना देश की रक्षा के लिए बहुत ही अकल्पनीय परिस्थितियों में वहां थी। विदेश मंत्री ने कहा कि सेना ने अपना काम किया और कूटनीति ने अपना काम किया। विदेश मंत्री ने पिछले 10 वर्षों में बेहतर बुनियादी ढांचे को भी उन कारकों में से एक के रूप में उजागर किया, जिसके कारण चीन अपने सैनिकों को उस स्थिति में वापस ले आया, जहां वे 2020 के गलवान संघर्ष से पहले थे।

इजरायल-ईरान में जंग जैसे हालात! भारत बोला- इस संघर्ष से किसी का भला नहीं होने वाला
विदेश मंत्री ने कहा कि आज हम एक दशक पहले की तुलना में प्रतिवर्ष पांच गुना अधिक संसाधन लगा रहे हैं, जिसके परिणाम सामने आ रहे हैं और सेना को वास्तव में प्रभावी ढंग से तैनात करने में सक्षम बना रहे हैं। उन्होंने कहा कि सितंबर 2020 से भारत चीन के साथ समाधान निकालने के लिए बातचीत कर रहा था। विदेश मंत्री ने कहा कि इस समाधान के विभिन्न पहलू हैं। उन्होंने कहा कि सबसे जरूरी बात यह है कि सैनिकों को पीछे हटना होगा, क्योंकि वे एक दूसरे के बहुत करीब हैं और कुछ घटित होने की आशंका थी।

गश्त पर रोक लगाई जा रही थी और हम पिछले दो वर्षों से इसी पर बातचीत करने की कोशिश कर रहे थे। इसलिए 21 अक्टूबर को जो हुआ, वह यह था कि उन विशेष क्षेत्रों डेमचोक और डेपसांग में हम इस समझ पर पहुंचें कि गश्त फिर से उसी तरह शुरू होगी, जैसी पहले हुआ करती थी।
एस जयशंकर, विदेश मंत्री, पुणे में एक कार्यक्रम के दौरान

मोदी और जिनपिंग की मंजूरी

समझौते के पीछे दूसरी वजह यह रही कि पिछले दशक में हमने अपने बुनियादी ढांचे में भी सुधार किया है...मुझे लगता है कि इन सबके संयोजन से ही हम आज यहां तक पहुंचे हैं। जयशंकर ने कहा कि जब प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति शी मिले, तो यह निर्णय लिया गया कि विदेश मंत्री और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार मिलेंगे और देखेंगे कि इसे कैसे आगे बढ़ाया जाए।

रिश्तों में जमी बर्फ पिघल रही है, दोबारा करीब आ रहे भारत-चीन, इस दोस्ती के पीछे रूस भी है
विदेश मंत्री ने कहा कि हाल के समय में सबसे लंबे समय तक चले सैन्य गतिरोधों में से एक को समाप्त करने के लिए भारत और चीन ने इस सप्ताह जो ऐतिहासिक समझौता किया था, उसे बुधवार को प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने अंतिम मंजूरी दे दी। दोनों ने पांच साल के अंतराल के बाद कजान में द्विपक्षीय बैठक की और समझौते का समर्थन किया।


एलएसी पर स्थिति और बेहतर होगी

भारतीय पक्ष के अनुसार, इससे वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर स्थिति और बेहतर होगी। अगले कदम के रूप में, दोनों नेताओं ने अपनी 50 मिनट की बैठक में भारत-चीन सीमा प्रश्न पर जल्द ही विशेष प्रतिनिधियों (SRs) की वार्ता आयोजित करने पर सहमति व्यक्त की, जो 2019 से नहीं हुई है, और "रणनीतिक और दीर्घकालिक परिप्रेक्ष्य से संबंधों को आगे बढ़ाने, रणनीतिक संचार बढ़ाने और विकासात्मक चुनौतियों का समाधान करने के लिए सहयोग की तलाश करने की आवश्यकता को रेखांकित किया।

\\\"स्वर्णिम
+91 120 4319808|9470846577

स्वर्णिम भारत न्यूज़ हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं.

मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Laptops | Up to 40% off

अगली खबर

दिल्ली के गांधी नगर में PNB में लगी आग, दमकल की 3 गाड़ियों ने पाया काबू

आपके पसंद का न्यूज

Subscribe US Now